मेरा साथ
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मेरा साथ

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मेरा साथ Mere Saath | Poem

जब मैं खुद से लड़ाई लड़ रही थी, 

जब मैं जीवन जी रही थी, 

मेने थामा था मेरा हाथ

जब मैं उलझी हुई थी, 

जब मैं सुलझी हुई थी, 

मैं थी खुद के साथ 

जब मैं जवाब बनना चाहती थी

लेकिन सवाल बन गयी

मैं थी खुद के साथ

मेरे जन्म लेने से 

मृत्यु तक के सफ़र में

मैं थामूँगी मेरा हाथ l

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