Sunday Tale
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Sunday Tale

आज चाय के साथी केवल मैं और चाय का कप नहीं थे।।

आज साथ था मेरे भाई का भी।।आज सिर्फ ख्याल नही थे कुछ सुख दुख की बाते भी थी करने को।।अब बस 2 घंटो में वो अपनी job Place के लिए निकलने ही वाला था को ऐसा लगा मानों कुछ ही पलों में सारी बातें कर लें।।

इसी दौरान मां की वीडियो कॉल आई और उन्होंने बताया कि किस प्रकार उनका मन नहीं लग रहा था अपने बच्चों के बिना।। क्योंकि भाई अभी मां के पास रहकर आया था काफी दिन तक।। इसीलिए उसकी कमी मां को खासकर खल रही थी।।

आज सिर्फ ख्याल नहीं थे कुछ सुख-दुख की बातें भी थी।। सुबह जाने की भाग दौड़ में ना तो अच्छे से बातें हो पाएगी ना ही अच्छे से मिल पाएंगे इसीलिए रात को ही घुमाने ले गई थी उसे।। कई किलोमीटर स्कूटी से गए रात की उस हवा में आउटिंग से भाई खुश हो गया था और साथ ही काफी रिलैक्स फील कर रहा था ।।आंटी ने अचानक आवाज लगाई सुप्रिया चाय पीने आ जाओ ।।आंटी यह तो भूल ही गई थी कि भाई भी आज साथ है।।मैंने ऊपर से ही आवाज लगाते हुए कहा आंटी हमने तो चाय पी ली बस आप लोग ही बाकी हो ।।चाय पीने के बाद अब फाइनली भाई अपना सामान पैक कर रहा था ।।ऐसा लग रहा था कि कल ही आया है और आज जा रहा है ।।कम से कम कुछ दिनों दिन तो रहता साथ में ।।परंतु दोनों को ही अपनी ड्यूटी करनी थी क्योंकि अब जिम्मेदारियां निभाने की बारी हमारी थी।। हमें वह सब कर्तव्य निभाने हैं जो इस उम्र में हमें अच्छे से निभाना चाहिए।। कमी कहीं नहीं है ना भाई की तरफ से ना मेरी तरफ से बस अंतर है तो केवल सोच और समझ में।।

यह मुझसे छोटा है तो जीवन के कई पहलुओं पर उसे अच्छे से बिठाकर समझना भी पड़ता है तो कभी वह अपनी समझदारी भरी बातों से मुझे ही हैरान कर देता है ।।अब भाई जाने ही लगा था कि मुझे कहता दीदी अपना ध्यान रखना मैं भी थोड़ी भावुक हो गई और उसे आशीर्वाद देकर जाने दिया।।

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