
शास्त्र।।
चलो कुछ बात करते हैं। नानी जी ने बचपन में एक शस्त्र दिया था उसकी। पांचवीं कक्षा में प्रोमोट हो गई थी मैं। पांचवीं कक्षा में पहुंचने से ज्यादा खुशी इस बात की थी कि अब पेंसिल की जगह पैन ने ले ली थी।
वो पहला पैन जो नानी जी ने दिलाया ।
उसमे मैंने लाल रंग के पैन को चुना।।
शाम को नाना जी ने घर आए और मेरे हाथ में वो लाल पैन देखते ही तुरंत बोले ये जरूर कुछ बड़ा करेगी ।।और हमें बड़ा गर्व होगा इस पर।
उनके यह बात कहने के पीछे कारण था मेरा जुनून और वो लाल पैन!!
क्यूंकि उस लाल पैन के पीछे मेरी धारणा थी कि मुझे मेकर नहीं चैकर बनना है।मैं ना अपना ही टेस्ट लेकर उस लाल पैन से खुद को पूरे में से पूरे मार्क्स देना चाहती थी।। ऐसा करते करते कब मैं इस मंजिल तक पांच गई पता ही नही चला।।
नाना जी मेरे साथ नहीं हैं अब लेकिन वे जहां कहीं भी हैं मेरी कामयाबी से बहुत खुश हो रहे होंगे।
तो वो लाल पैन दिलाने में mefi नानी जी बड़ी ही उत्सुक थीं जो की हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम आया करती थीं।
एक वो ही थीं जो मेरे सपनों से वाकिफ थीं।जिन्होंने पैन रुपी शस्त्र थमा दिया था मेरे हाथों में।।
लिख रही हूं उन्हीं की सिखाई बाते आज इन हाथों से।।
Love you Nanaji Or Naniji❤️
इसी के साथ सबको नए साल 2023 की हार्दिक शुभकामनाएं।।
सुप्रिया सोनी।
Appreciate the creator