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सफर की खूबसूरती!!

 

सफर की खूबसूरती !!

अनजान राही की तरह सफर पर चल दी थी लेकिन कब उन रास्तों के साथ यारी हो गई पता ही नहीं चला। जो एक नहीं कई मंजिलों तक मुझे ले गए ।।

वो कहते हैं ना सफर खूबसूरत होना चाहिए मंज़िल से भी तो बस मेरा सफर मंज़िल से भी खूबसूरत था, जिसमें न जानें कितने उतार चढ़ाव देखे।

एक सपना जिसे मंज़िल बनाया था उस मंज़िल तक पहुंचने के सफर में न जाने कितने सपने देखे । और इसमें सबसे बढ़िया बात तो यह है कि सफ़र के सारे सपने सच होते आए और ये मंज़िल भी कब मिल गई पता ही नहीं चला।

वो कहते हैं ना सपने वो सच नहीं होते जो हम सोते समय देखते हैं बल्कि वो सच होते हैं जिनके लिए हम सोना छोड़ देते हैं। तो बस मैं भी इस सफर में अपनी आंखों में नींद नहीं बल्कि सपना लेकर निकल चुकी थी । और इस सफ़र में मेरे अपनों ने मेरा खूब साथ दिया। मंज़िल तक पहुंचने के इस सफर को और भी हसीन बना दिया। वो मां की सलाह वो नानी मां की सिखाई बातें इस सफर को और भी रोमांचक बना देने वाली थी।

ये रास्ते जिनसे मेरी यारी हो गई थी इन रास्तों ने

पतझड़ में भी फूल बिछाकर मेरा स्वागत किया और

ये पतझड़ की फूलों भरी राहें कब सावन की हरी-भरी राहों की ओर ले गईं और कब इस सफ़र को जी लिया पता ही नही चला।

इन राहों की यारी मंज़िल मिलने के बाद भी नहीं छूटी है न जानें ये और कितनी मंजिलों तक ले जाएंगी।

सुप्रिया सोनी

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