
a year agoLess than 1 min read
ख्याल!!
क्या कहूं उन लम्हों को जिनको एक बार नहीं सौ बार जिया है मैंने।।
एक सुकून सा मिलता है जब साथ तेरा होता है ।।
उस एक-एक पल को संजो के रखना चाहती हूं जो तेरे साथ बीतता है ।।
फूलों की खुशबू सा यह साथ न जाने कब तक महकेगा।।
हर रोज उसे उसी ताजगी के साथ खींचना चाहती हूं ।।
दिल के अरमानों की चाबी ने लम्हों को अपना बना लिया है अब यह लमहे और अरमान तो अपने से मिल गए कमबख्त उस चाबी का पता नहीं ।।
क्यों आज यह शाम फिर से महकने लगी ।।
क्यों यह अरमान फिर से जागने लगे ।।
आज यह नैन सारी बातें कहने लगे ।।
इस चांद की रोशनी में आज सब फिर से जी लिया।।
अब आदत सी हो गई है उस खुशबू की जिसकी महक के बिना अब सवेरा नहीं होता ।।
दिल जानता है उस खामोशी को भी जिसके दरमियां अब सब कुछ नया नया सा है फिर भी उसकी आहट का एहसास लिए हुए हैं
सुप्रिया सोनी।।
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