Hi I Want to Share My Favorite Story Jindgi Tere Liye
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Hi I Want to Share My Favorite Story Jindgi Tere Liye

जिंदगी  तेरे लिए (एक  आस्तिक की कहानी)

सारांश

जिंदगी  में उत्पन्न  आकस्मिक घटनाओं व आर्थिक उतार -चढाव से तंग आकर आत्महत्या करने की सोच तुच्छ सोच पर कटाक्ष करती हुई एक आस्तिक की मार्मिक, हास्यप्रद  प्रेम पूर्ण कहानी है। 

उद्देश्य

प्रकृति से दूर होकर आधुनिकता की चमक में धैर्य व सुकून खोते हुए समाज को जगाना, संघर्ष करते हुए मायूस  व्यक्तियों में उत्पन्न आत्महत्या जैसी हरकत पर कण्ट्रोल पाना। 

कहानी

ये कहानी आई टी इंस्टिट्यूट ऑफ़ बैंगलोर में पढ़ने वाले दो दोस्तों अजय व अभय की है।  अजय स्वयं विश्वासी लड़कियों की दोस्ती का शौक़ीन नास्तिक तरह जिंदगी गुज़ारने वाला एक दृंढ निश्चय अमानवीय व्यवहार के साथ समाज का एक अत्यंत चतुर सेल्फिश व्  तरक्की का इच्छुक व्यक्ति है। अभय एक निडर  और आस्तिक, सच्चाई, ईमानदारी व सुकून का आदी समीना नामक (एक शिव भक्त व लग्ज़री लाइफ स्टाइल की इच्छुक   क्लास मेट लड़की का प्रेमी है।

 

अलग- अलग मानसिकता को रखते हुए तीनों घनिष्ठ मित्र हैं। अजय के बार -बार समझाने पर भी उसकी आस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ता। इसी आस्था के चलते अभय दिन -प्रतिदिन घाटा उठाता रहता है। अभय समीना के खर्चे उठा -उठा कर और ईश्वरी मदद के इंतज़ार में  शहर में  अपनी छवि ख़राब करते हुए कई लोगों का कर्ज़दार हो जाता है। तगादों, उल्हानों से तंग आकर एक दिन चुपचाप समीना और अजय को छोड़कर कहीं दूर चला जाता है।  इधर समीना और अजय में नज़दीकियां बढ़ती हैं।  अजय  मौके का फायदा उठाकर समीना से शादी करने हेतु एक चैन मैनेजमेंट कंपनी की स्थापना करता है, जिसके द्वारा कस्टमर से झूंठे वायदे कर शीघ्र ही वो बहुत सारा पैसा   इकट्ठा करने में कामयाब हो जाता है। 

 

अजय का बिज़नेस दिन -प्रतिदिन बढ़ता जाता है जिससे वो स्वयं को समीना के समक्ष एक सफल व्यक्ति दिखाने में कामयाब होता है।  समीना लालचवश अभय  से किये गए  वायदे को भुलाकर अजय से शादी कर लेती  है। इधर अभय क़र्ज़ अदा करने व समीना से शादी करने हेतु धन इकट्ठा करने  के लिए रोज़गार की तलाश में दर -दर  ठोकरें  खाकर ईश्वर  पर आश लगाए मुंबई में भटकता फिरता है। अत्यधिक समय गुजरने व रोज़गार पाने के लालच में ठगी का शिकार होने के कारण  फुटपाथ की जिंदगी गुज़ारने को मजबूर है। 

 

 

 

तंग होकर भी धार्मिक आज्ञा के अनुसार  वो आत्महत्या जैसा पाप नहीं करना चाहता।  एक रात फुटपाथ पर कुछ व्यक्तिओं के साथ सोते समय रात्रि में कुछ नशेड़ियों द्वारा हमला किया जाता है जिसमें अभय एक नशेड़ी को मार देता है जिससे नशेड़ी के साथियों द्वारा सभी को  अत्यधिक घायल कर दिया जाता है। अंत में सभी का इलाज़ एक ट्रस्टी मेडिकल संस्था द्वारा किया जाता है संस्था की एक नर्स अभय के हावभाव से प्रभावित होकर उसको ट्रस्ट के मालिक पुरष्कार मंदिर के महंत रविदास त्यागी जी के पास पुष्कर भेज देती है। जहां अभय कई साल तक महंत का शिष्य बनकर पूर्ण भेष बदलकर शिव की उपासना करने में लग जाता है। 

 

इधर अजय अपने बेटे के मुंडन के लिए समीना के कहने पर अपने लग्जरी हावभाव व साधन सहित पुष्कर के मंदिर में जाते हैं।  मुंडन से पहले अजय एक प्रसिद्ध लेन को बुक कर रात्रि भोज पर महंत को  सभी शिष्यों  समेत निमत्रण पर बुलाता है।  समारोह में अत्यधिक लग्जरी व्यवस्था के साथ - साथ नृत्य का आयोजन भी किया जाता है।  वहां पहुंचे अभय को जब समीना और अजय की हकीकत पता चलती है तो वह सहन न करते हुए चुपचाप मंदिर आकर शिव के समक्ष फुट -फुट कर रोते हुए,  अपने आस्तिक होकर दर - दर भटकने व समीना को खोने और भरोसा करके मायूस होने की फ़रियाद कर चिल्लाता है।  मंदिर के आश्रालय में जाकर किताबों के पास रखे झंडों से लटक कर आत्महत्या करने का प्रयास करता है।  तभी झंडों के साथ नीचे गिरी हुई गीता पुस्तक को माथे से लगाकर ऊपर के प्रयत्न्न में श्री कृष्ण के एक उपदेश को पढ़ते हुए शांत होकर  एकांत में बैठ कर सोचने लगता है। 

 

उपदेश के अनुसार अभय तमाम किताबों का गहन अध्यन कर सही मार्ग दर्शन पाकर पुनः जिंदगी को जीने के लिए संघर्ष करता है।   कुछ दिनों बाद एक नई मानव कल्याण की खोज करने पर वो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो जाता है।  इधर अजय की कंपनी के कस्टमर वायदे के अनुसार रिटर्न न मिलने के बुरी इमेज के चलते अत्यधिक घाटे में चली जाती है। 

 

साथ ही गवर्नमेंट उसके सभी खाते फ्रीज़ कर देती है।  वो ये सब बर्दास्त न करके अपने कार को स्वयं एक्सीडेंट कर आत्महत्या कर लेता है।  अजय की मृत्यु की खबर पर उसके अंतिम संस्कार में पश्चाताप करने हेतु अजय द्वारा अपने बेटे के मुंडन पार्टी में अभय की उड़ाई गयी मज़ाक को अभय दर किनार कर सभी को अपने संघर्षों व् ईश्वर में विश्वास करने के बारे में बताता है।  समीना अभय के साथ शादी करती है।  एक बच्चे को जन्म देने के बाद अभय अपने को पूर्ण ईश्वर को समर्पित कर जंगल में आश्रम बनाकर रहने लगता है।

ये कहानी माँ समीना अपने दोनों  बच्चों को (बच्चों द्वारा रात्रि में समीना को किसी से बहार जाकर मिलने वाली कहानी के पूछने पर) उनके बापुओं व अपने बारे में बताती है।  बच्चों के आखिर में (माँ  बापू जंगल में क्यों चले गए) पूछने पर माँ कहती है ( उन्हें ईश्वर के अंतिम सन्देश पर भी पूर्ण आस्था हो गयी थी इसीलिए बेटा)।   

 

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