
Feel It--During Chaitra Navratri
इस चैत्र के महीने में देवी उपासना करते हुए लगा कि कुछ कुछ सार्थक सी कविता बन सकती है। यह कविता, किसके लिये है, यह आपको निश्चय करना है।
महसूस कर, महसूस कर; महसूस कर। उसको निभा, उसको समझ, उसको ही जी, तू उम्र भर ।।
वह बसंत में, तू अगर है साथ। वह तेैैर जाय, ले तेरा हाथ।। उसका वो स्वप्न, उसकी वो आह । तूने जी लिया, तो वाह- वाह।। उसकी निगाहें, तेरे आस आस। वह है यहाँ, तो तेरे पास पास।।
महसूस कर, महसूस कर; महसूस कर ।। उसका जगत, जहाँ तू रहे। उसका लगन, जब तू कहे।। तू जीते तो , उसके लिये। तू हारे तो , उसके लिये।। उसका है सब, तेरे लिये। वह विश्व है, तेरे लिये।। महसूस कर, महसूस कर; महसूस कर।।
तू ध्यान में, उसके लिये। तू कर्म में, उसके लिये।। वह भ्रान्ति है, तुझे नहीं पता। सत्य है, क्या ? तू ही बता।। तुझे जन्म तो, उसने दिया । तेरा साथ फिर , किसने दिया ।। महसूस कर, महसूस कर, महसूस कर ।।
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